रविवार, 23 अगस्त 2009

रात का पृष्ठ बदल रोज नया एक दिन आता है
बुझते सपने रोशन करने मन -दीपक फिर जल जाता है
पीले हो जाते हैं पत्ते उपवन सारा झाड़ जाता है

खिलती कलियाँ बतलाती हैं रुको जरा बसंत आता है
रूठा समय मानते -मनते दिल का धीरज खो जाता है
गिरते आंसू समझाते हैं दुःख जाता है सुख आता है